Wednesday, May 6, 2020

ज़रुरतमंदों की सेवा के लिए अग्रणी पंक्ति में है हैल्पिंग हैण्डज़ संगठन

 वक़्त सब कुछ देख रहा है--वक़्त सब कुछ बदलेगा भी !
लुधियाना: 6 मई 2020: (एम एस भाटिया//मीडिया लिंक रविंद्र//कामरेड स्क्रीन):: 
ज़िंदगी और दुनिया को बहुत ही पत्थर दिल हो कर भी देखा जा सकता था। बहुत ही बेरुखी के साथ। बहुत ही बेरहमी के साथ। सरकार ने लॉक डाउन लागू करने से पहले आम गरीब और मध्यवर्गीय लोगों के लिए कुछ नहीं सोचा। समाज के सम्पन्न लोग भी ऐसा ही सोच सकते थे। कोई मरे कोई जिए। कोई भूख से मरे या आत्महत्या करके हमें क्या लेना देना। यहां किसी का क्या जाता था। पर समाज के अंदर ज़िंदा इंसानियत का सबूत है कि 
सम्पन्न लोग तो दूर गरीब और मध्य वर्गीय लोगों ने भी ऐसी बेरुखी नहीं दिखाई। इनके दिल में संवेदना जगी। इनके दिल को कुछ महसूस हुआ। इन्होने सरकार की तरह नहीं एक सच्चे इंसान की तरह सोचा।  आम जनता पर मुसीबत बन के टूटे लॉक डाउन पर इन लोगों ने आम जनता के दुःख दर्द को बहुत ही शिद्दत के साथ महसूस किया। 
आज के युग में जब बड़े बड़े सियासतदान भी खुद को व्यापारी बताते हुए हर चीज़ का कारोबार करते हैं उस दौर में इस तरह के संवेदनशील लोगों ने धर्म कर्म और पार्टी लाईन से ऊपर उठ कर सोचा।एक दुसरे को फोन खड़काये। वीडियो काले कीं। सबसे पहले सबसे आगे आये पूरी तरह से खामोश रह कर समाज के लिए बहुत कुछ करने वाले ईएनटी के स्पेशलिस्ट सर्जन डाक्टर अरुण मित्रा। उन्होंने वही लोग ढूंढे जो उनकी सोच के भी नज़दीक थे। एक सहयोगी मिले पीएयू में बरसों तक यूनियन प्रधान रहने वाले कामरेड डीपी मौड़। एक अन्य मित्र इस मकसद के लिए सामने आये स्टेट बैंक आफ इण्डिया में काम करने वाले कामरेड नरेश गौड़। सीपीआई की जिला शहरी इकाई के सचिव कामरेड रमेश रत्न भी इस टीम के सहयोगी आ बने। ब्ल्यू स्टार ऑपरेशन से ले कर अब तक बहुत ही ख़ामोशी से समाज सेवा में जुटे डीएमसी अस्पताल के पूर्व मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डाक्टर बलबीर शाह भी बहुत ही उत्साह के साथ इस काफिले से आ जुड़े। जब जब भी वकीलों को कोई कठिनाई आई या समाज के किसी भी अन्य वर्ग को क़ानूनी सेवा की आवश्यकता पड़ी तो तुरंत अपना सहयोग और मार्गदर्शन देने वाले वकील नवल छिब्बर भी इनसे आ मिले। समाज सेवा के लिए परिवार की नाराज़गी मौल ले कर हर पल जन सेवा को तैयार रहने वाले रिटायर्ड बैंक मुलाज़िम एम एस भाटिया (सेंट्रल बैंक आफ इण्डिया) भी इस टीम में आ मिले। 
एक संगठन बनाया गया-"हैल्पिंग हैन्डज़"। इस टीम ने कुछ अन्य लोगों को भी साथ लिया और शुरू किया प्रयास कि कहीं कोई भूखा न रह जाये। आरम्भ में 400 परिवारों का चुनाव हुआ। मतलब दो हज़ार लोग। इनको राशन पहुंचने का काम शुरू कर दिया गया। बस अचानक इलाके में गए। ज़रूरतमंद परिवार का दरवाज़ा खटखटाया और दरवाज़ा खुलते ही उसे राशन की किट थमा कर वहां से निकल लिए। न कोई शोर शराबा न ही कोई फोटो। बस लिस्ट के मुताबिक अगले ज़रूरतमंद घर तक पहुंचने की जल्दी। इस किट में रसोई का थोड़ा थोड़ा सब कुछ था। 
यह एक कोशिश थी अपनी जानकारी में आये ज़रूरतमंद लोगों को भूख के विकराल दानव  से बचाने की। एक तरफ कोरोना--दूसरी तरफ भूख। इस नाज़ुक माहौल में भी जब बहुत से सियासतदान अपनी राजनीती की रोटियां सेंक रहे थे तब हैल्पिंग हैन्डज़ घर घर पहुँच कर लोगों को दिलासा दे रहा था कि घबराओ मत--सब कुछ जल्द ही ठीक हो जायेगा। 
सबसे पहले तो पैसे एकत्र करना ही बहुत मुश्किल काम था। उसके बाद राशन खरीदना, उसे पैक करना और ज़रूरतमंदों तक पहुंचाना भी बेहद मुश्किल था। इस मकसद के लिए आगे आये डाक्टर अरुण मित्रा के युवा  सहयोगियों की सक्रिय टीम के सदस्य डाक्टर कुलदीप बिन्द्र, डाक्टर रामाधार, अनोद कुमार, अनिल कुमार, अजय कुमार और कुछ अन्य लोग। 
युवा लोगों की यह टोली मन में कुछ करने की ठान कर जुट गयी। न रविवार देखा न सोमवार। न दिन देखा न रात। हर पल यही सोच कि कोई भूखा न रह जाये। 
इस टीम के लोग थोड़ा सा समय नाश्ते पानी के लिए निकालते और नहाने के नियम का पालन भी करते। इसके साथ ही अपने घरों की ज़िम्मेदारियां और कामकाज भी निपटाते। अधिकतर समय इस राशन के मिशन पर ही लगता। पैक किये राशन को अलग अलग स्थानों पर पहुंचाने की बारी आयी तो यह काम भी बेहद मुश्किल था। 
राजा टैंट हाऊस के सरदार भगवंत सिंह और गगनदीप सिंह ने यह ज़िम्मेदारी उठायी। सीता राम ड्राइवर और संजीव मैनेजर ने इस सारे नेक काम को बहुत ही मेहनत और प्रेम से निभाया। 
 गदरी बाबा दुल्ला सिंह और ज्ञानी निहाल सिंह फाउंडेशन जलालदीवाल, सीआईआई फाउंडेशन, सीआईआई और पैक्सीको ने भी इसमें बहुत सहयोग दिया। डाक्टर हरमिंदर सिंह सिद्धु के ज़रिए लुधियाना के 127 परिवारों को डेढ़ महीने का राशन दिया गया। अलग अलग धार्मिक संस्थानों ने भी इस मकसद के लिए बहुत सेहोग दिया। हमारे निवेदन पर भाई घणईया सेवा सोसायटी, राधा स्वामी सतसंग ब्यास-प्रताप सिंह वाला, सावन कृपाल रूहानी आश्रम रख बाग, दण्डी स्वामी और जैन स्थानक समिट्री रोड ने भी जनसेवा के इस मिशन में सक्रिय सहयोग दिया। इसी तरह डा. जगमेल सिंह ने 35 परिवारों के लिए राशन दिया। बहुत से अन्य संगठन और व्यक्ति भी हैं जिनका यहां उल्लेख नहीं किया जा सका। 
वक़्त की एक बहुत बड़ी खूबी है कि जैसे भी हो यह निकल जाता है। गुज़र जाता है। रुकता कभी नहीं। अब भी समय गुज़र जायेगा। याद रहेंगे तो वे लोग जिन्होंने लॉक डाउन जैसे फैसले सुनाते वक़्त भी कोई योजना न बनाई। बिलकुल न सोचा कि लोग गुज़ारा कैसे करेंगे। इसके साथ ही याद रहेंगे वे लोग जिन्होंने अपने दो वक़्त की रोटी में से भी आधी रोटी निकाल कर दुसरे ज़रूरतमंद लोगों को खिलाई। उन लोगों को जिनकी जेब भी खाली थी और रसोई भी। मज़दूरों को पैदल निकलते देखने वाले भी याद रखे जायेंगे। भूख से कराहते लोगों का मज़ाक उड़ाते हुए छतों पर चढ़ कर थालियां खड़काते हुए आतिशबाज़ी चलाने वाले भी याद रखे जायेंगे। लोग जाग रहे हैं। बाज़ निगाहों से सब देख भी रहे हैं। एक दिन एक एक बात का हिसाब मांगेंगे लोग। वक़्त भी सब कुछ देख रहा है, सब कुछ बताएगा भी एक दिन सब कुछ बदलेगा भी।

ऐ खाकनशीनों उठ बैठो, वह वक्त करीब आ पहुंचा है,
जब तख्त गिराए जाएंगे, जब ताज उछाले जाएंगे।   --जनाब फैज़ अहमद फैज़ साहिब 

2 comments:

  1. एक अति सराहनीय प्रयास

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  2. ਇਕ ਸ਼ਲਾਘਾਯੋਗ ਉਪਰਾਲਾ

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