Saturday:Dec 14, 2019, 5:49 PM
रिहा हुए 10 साथियों का जोशीली नारेबाज़ी से स्वागत: झूठे केस रद्द हुए
15 दिसम्बर को होगी मज़दूर पुस्तकालय के सामने विशाल विजय रैली
लुधियाना:14 दिसम्बर 2019: (कामरेड स्क्रीन टीम)::
हंबड़ाँ कत्ल काण्ड विरोधी संघर्ष के दौरान जनवादी जनसंगठनों पेंडू मज़दूर यूनियन (मशाल), टेक्सटाईल-हौज़री कामगार यूनियन, भारतीय किसान यूनियन (एकता-डकौंदा) व नौजवान भारत सभा के झूठे पुलिस केस में जेल में बन्द किए 10 नेताओं-कार्यकर्ताओं पर थोपे गए झूठे पुलिस केस रद्द करवा लिए गए हैं। आज जेल से रिहा हुए साथियों का जेल के सामने पहुँचे विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ताओं ने लाल झण्डों व जोशीले नारों के साथ स्वागत किया। जेल प्रशासन के निक्कमेपन की वजह से आई तकनीकी दिकक्त के कारण साथी गुरविन्दर की रिहाई नहीं हो पाई थी। आज सुबह उनकी रिहाई भी हो गई। 14 दिसम्बर को हँबड़ाँ व भूँदड़ी में जोशीले विजयी स्वागत मार्च किए गए। संघर्ष कमेटी द्वारा 15 दिसम्बर से सहायक पुलिस कमिश्नर (पच्छिमी) के सामने रखा अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन रद्द कर दिया गया है। अब 15 दिसम्बर को मज़दूर पुस्तकालय, ताजपुर रोड, लुधियाना पर 2 बजे विजय रैली की जाएगी।
संघर्ष कमेटी ने इसे साझे जनवादी जनसंघर्ष की शानदार जीत करार दिया है। संघर्ष कमेटी के संघर्ष की बदौलत पहले पुलिस को हम्बड़ाँ कत्ल काण्ड के दोषी ठेकेदार रघबीर पासवान को गिरफ्तार करने पर मज़बूर होना पड़ा था। उसे सख्त से सख्त सजा करवाने के लिए व पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा दिलाने के लिए संघर्ष जारी रहेगा।
संघर्ष कमेटी द्वारा आज जारी प्रेस ब्यान में कहा गया है कि 18 नवंबर को जब लोग ठेकेदार रघबीर पासवान पर कत्ल केस दर्ज करने और उसकी गिरफ़्तारी, पीड़ित परिवार को मुआवज़ा देने, कारखानों और अन्य कार्य-स्थलों पर मज़दूरों की सुरक्षा की गारंटी करने आदि माँगों के लिए शान्तिपूर्ण रोष-प्रदर्शन कर रहे थे तो जायज मांगें मानने की जगह पुलिस को लोगों की अधिकारपूर्ण आवाज़ बर्दाशत नहीं हुई और लुधियाना पुलिस प्रशासन ने संघर्षरत लोगों को न सिर्फ़ मारा-पीटा बल्कि संगठनों के नेताओं-कार्यकर्ताओं सुखदेव सिंह भूँदड़ी, राजविन्दर, सुखविन्दर हम्बड़ाँ, जसमीत, गुरविन्दर, मेजर सिंह, जगदीश, चिमन सिंह, गुरदीप और शुलिन्दर को ग्रिफतार कर जेल में डाल दिया। उन पर पुलिस पर हमला करने, सड़क जाम करने और अन्य झूठे दोष लगाकर झूठा पुलिस केस दर्ज कर दिया गया। इस तरह पुलिस ने न सिर्फ़ दोषी को बचाने की कोशिश की है बल्कि यह मज़दूरों के लूट-दमन को बेरोक-टोक चलता रखने की, पूंजीपतियों के जंगल राज को चलता रखने की कोशिश है जहाँ मज़दूरों को कोई हक प्राप्त नहीं, जहाँ मज़दूरों का भयानक अपमान, मारपीट, कत्ल होते हैं। पुलिस ने लोगों के एकजुट संघर्ष करने के जनवादी-संवैधानिक अधिकार को कुचला है। संघर्ष कमेटी ने जनसंघर्ष के दम पर लुधियाना पुलिस प्रशासन के जनता के जनवादी अधिकारों पर इस हमले का डटकर जवाब दिया है।
संघर्ष में टेक्सटाईल हौज़री कामगार यूनियन, पेंडू मज़दूर यूनियन (मशाल), भारतीय किसान यूनियन (एकता -डकोंदा), एटक, जमहुरी किसान सभा, कुल हिंद किसान सभा, मोलडर एंड स्टील वर्करज़ यूनियन, पेंडू मज़दूर यूनियन (मशाल), किरती किसान यूनियन, मोलडर एंड स्टील वर्करज़ यूनियन, सीटू, कारख़ाना मज़दूर यूनियन, नौजवान भारत सभा, सीटीयू, भारतीय किसान यूनियन (एकता -उगराहां), पेंडू मज़दूर यूनियन, उसारी मज़दूर यूनियन, इंकलाबी नौजवान विद्यार्थी मंच, लोक एकता संगठन, रेड़ीफड़ी यूनियन, इंकलाबी मज़दूर केंद्र, पंजाब निर्माण मज़दूर यूनियन, पलस मंच, कामागाटामारू यादगारी समिति, इंकलाबी केंद्र पंजाब, इंकलाबी लोक मोर्चा, डेमोक्रेटिक मुलाज़िम फ्रंट, डीटीएफ, पंजाब रोडवेज़ इंपलाईज़ यूनियन, जल सप्लाई एण्ड सेनीटेशन कंट्रेक्ट वर्कर्ज यूनियन, पावरकॉम एण्ड टरांस्को ठेका मुलाजिम यूनियन संगठन शामिल रहे हैं। जेल के आगे रिहाई के अवसर पर व विभिन्न जगहों पर हुए विजयी स्वागत मार्चों को विभिन्न संगठनों के नेताओं लखविन्दर, बलजीत, हरदीप गालिब, गुरनाम सिद्धु, इन्दर, सूरज, हरदेव मुल्लापुर, बिन्नी, जसवीर सिंह, जसदेव ललतों, सुरिन्दर, अवतार विरक, कंवलजीत खन्ना, एम.एस. भाटिया, एसपी सिंह, संदीप, व अन्य नेता व बड़ी संख्या कार्यकर्ता हाजिर थे।
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