Friday, September 19, 2025

1950 के दशक में भी यही उम्मीद जोरों पर थी-वो सुबह कभी तो आएगी!

Posted on 19th September 2025 

कामरेड अमरजीय कौर आज भी दृढ़ हैं-वो सुबह हमीं से आएगी!


चंडीगढ़: 18 सितंबर 2025: (मीडिया लिंक रविंद्र/ /कामरेड स्क्रीन डेस्क):: 


जब रेडियो का ज़माना था उस दौर में कभी एक गीत बहुत हिट हुआ करता था। हर गली मोहल्ले में रेडियो के गीत सुनाई देते थे। उस ख़ास गीत के बोल थे -वो सुबह कभी तो आएगी। इसे लिखा था जनता के दिल की बात करने वाले शायर जनाब साहिर लुधियानवी साहिब ने। फिल्म का नाम था-फिर सुबह होगी-सन 1958 में रिलीज़ हुई थी यह फिल्मइस ख़ास गीत को  संगीत से सजाया था जनाब खय्याम साहिब ने। फिल्म के पर्दे पर थे-राज कपूर और माला सिन्हा। आवाज़ें दी थीं-मुकेश और आशा भौंसले ने। यह गीत उन लाखों करोड़ों लोगों के दर्द की बात करता है जो निराशा के अंधेरों में उम्मीदों की आशा लगाए बैठे हैं। इस गीत के शायद दो हिस्से हैं। एक हिस्सा वो है जिसमें दर्द की इंतहा है:

 मजबूर बुढ़ापा जब सूनी राहों की धूल न फांकेगा

मासूम लड़कपन जब गंदी गलियों में भीख न मांगेगा

हक़ मांगने वालों को जिस दिन सूली न दिखाई जाएगी

वो सुबह कभी तो आएगी

इस  गीत की याद दिलाती यह वीडियो आप यहाँ क्लिक करके भी देख सकते हैं। 

इसी गीत से सवाल भी पैदा होते हैं कि आखिर कब आएगी वह सुबह - --? कौन लाएगा उस सुबह और उस सवेरे को? इसका जवाब देते हुए इसी गीत का दूसरा हिस्सा स्पष्ट करता है..ु . .

उस सुबह को हम ही लाएंगे 

वो सुबह हमीं से आएगी..!

सीपीआई की 25वीं राष्ट्रिय कांग्रेस इसी बरस 2025 के इसी महीने सितंबर की 21 तारीख से 25 सितंबर तक चंडीगढ़ / /पंजाब में हो रही है। इसकी सभी तैयारियां तकरीबन तकरीबन पूरी हो चुकी हैं। इस महानसम्मेलन को लेकर सीपीआई की राष्ट्रिय सचिव कामरेड अमरजीत कौर के साथ बात हुई तो उन्होंने पंजाब के साथ साथ देश और दुनिया की चर्चा भी की। 

जब इसी पोस्ट के आरंभ में दिए एक पुराने गीत के मुखड़े की बात चली तो सवाल यह भी उठा कि लोगों के सपनों को आखिर कौन साकार करेगा ? अच्छे दिन वास्तव में कौन लाएगा? गीत का एक प्रसिद्ध आन्तरा फिर याद आ रहा है : कामरेड अमरजीत से सबंधित वीडियो यहाँ क्लिक करके भी देख सकते हैं 

फ़ाकों की चिताओ पर जिस दिन इन्सां न जलाए जाएंगे

सीने के दहकते दोज़ख में अरमां न जलाए जाएंगे

ये नरक से भी गंदी दुनिया, जब स्वर्ग बनाई जाएगी

वो सुबह कभी तो आएगी .....!

इस सवाल के जवाब में सीपीआई की राष्ट्रिय सचिव कामरेड अमरजीत कौर ने बहुत स्पष्ट शब्दों में कहा कि केवल कम्युनिस्ट ही इन सपनों को साकार कर सकते हैं . .! वास्तव में केवल कम्युनिस्ट ही अच्छे दिन ला सकते हैं . .! कम्युनिस्ट ही ला सकते हैं हर घर,  हर दिल और हर घर में सच्ची खुशहाली - --! हर तरफ से निराश हुए लोगों को बस एक ही उम्मीद नज़र आती है--- उन्होंने कहा कि अब सच दीवारों पर लिखा जा चूका है--और कोई रास्ता ही नहीं बचा-- अब तो कम्युनिस्ट पार्टी ही करेगी सपने साकार 


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