Saturday, February 6, 2021

किसान आंदोलन के समर्थन में हुए सफल चक्का जाम

युवा पीढ़ी भी फिर तेज़ी से आ रही है वाम की तरफ 


लुधियाना: 6 फरवरी 2021: (एम एस भाटिया//जसप्रीत कौर समता//कामरेड स्क्रीन)::

किसान आंदोलन के समर्थन में चक्का जाम लुधियाना में भी सफल रहा। विभिन्न वक्ताओं ने सरकार से अपने सवाल दोहराए और किसानों  अपनी एकजुटता भी व्यक्त की। "कामरेड स्क्रीन" और "पंजाब स्क्रीन" सहित विभिन्न मीडिया टीमों ने वहां सक्रिय कवरेज की। वहां शामिल लोगों ने  केंद्र सरकार के खिलाफ अपना रोष व्यक्त किया।। इस बार भी जहां महिलाओं की संख्या ज़्यादा थी वहीं युवा वर्ग की मौजूदगी भी देखने लायक थी। किसानों के समर्थक गोदी मीडिया की आलोचना करते हुए स्वयं ही मीडिया की ज़िम्मेदारी भी निभा रहे थे। शहीद भगत सिंह के भान्जे प्रोफेसर जगमोहन सिंह, एटक की राष्ट्रिय महासचिव  कामरेड अमरजीत कौर, आर एम  पी आई के कामरेड मंगतराम पासला और कामरेड जयपाल सिंह ने बहुत ही तर्कपूर्ण ढंग से केंद्र सरकार को बेनकाब किया। कामरेड सुरिंदर कौर जयपाल और  पत्रकार सतीश सचदेवा ने जन समर्थक पत्रकारों को केंद्र सरकार द्धारा तंगपरेशान किये जाने की भी निंदा की। यह चक्का जाम दोपहर को पूर्व निश्चित और घोषित समय पर शुरू हुआ और ठीक तीन घंटे बाद तीन बजे खोला गया। इसी बीच दुसरे   परेशानी भी क्यूंकि उन्हें तीन घंटे का इंतज़ार करना पड़ा।  इन सभी को धरनाकारियों ने चाय-पानी-बिस्कुट इत्यादि से सेवा।  छोटे बच्चों के लिया बाकायदा दूध का भी प्रबंध किया गया।  पत्रकार मनिंदर सिंह भाटिया, किसान नेता कामरेड चमकौर सिंह और जम्हूरी अधिकार सभा के कामरेड जसवंत सिंह जीरख इस धरने के प्रबंधों  व्यस्त रहे। 


कामरेड अमरजीत कौर ने केंद्र सरकार को किया पूरी तरह बेनकाब 

कामरेड अमरजीत कौर ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर लाल किले पर हुए सारे घटनाक्रम को लेकर मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया और सरकारी दावों की धज्जियां उड़ा दी। उन्होंने कहा कि किसान विरोधी तीन काले कानून न केवल किसानों के लिए, बल्कि आम उपभोक्ता के लिए भी हानिकारक हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर, मोदी सरकार द्वारा पारित तीन असंवैधानिक काले कानूनों को रद्द करवाने के लिए चल रहे संघर्ष के हिस्से के रूप में लुधियाना में आज तीन घंटे का जो ट्रैफिक जाम किया गया वह पूरी तरह सफल रहा। आज सुबह वेरका मिल्क प्लांट के पास फिरोजपुर-लुधियाना रोड पर बड़ी संख्या में किसान, छात्र, मजदूर, कर्मचारी, महिलाएं और बुजुर्ग धरने पर बैठे और धरना दोपहर 12.00 से  3.00 बजे तक चला। सबसे पहले, इस किसान संघर्ष में शहीद हुए साथियों को श्रद्धांजलि दी गई।अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) के राष्ट्रीय महासचिव अमरजीत कौर ने  धरने को संबोधित होते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण था कि अमित शाह के इशारे पर पुलिस द्वारा लोगों के चुने हुए सांसदों को भी  किसानों से मिलने नहीं  दिया गया। एक ओर, प्रधान मंत्री मोदी कहते हैं कि मैं सिर्फ एक फोन कॉल दूर हूं, लेकिन दूसरी तरफ, वह सीमा पर तीन किलोमीटर के क्षेत्र में विशाल सीमेंट  दीवारें और नुकीली कीलों को खड़ा करके किसानों के साथ पैदा हो रही दूरी को और बढ़ा रहे हैं। कुछ और तस्वीरें फेसबुक पर भी देखें यहां क्लिक करके 

उन्होंने कहा कि बैरिकेड इस तरह स्थापित किए जा रहे थे जिस से ऐसा लगता है मानो कोई दुश्मन सेना बड़े टैंक लेकर आ रही है। मैडम अमरजीत ने पूछा कि अगर सरकार वार्ता के लिए तैयार है तो फिर किसके इशारे पर यह सब हो रहा है। ज़ाहिर है कि यह सब वार्ता को तोड़ने की साज़िशें हैं। दूसरी तरफ किसान हमेशा बातचीत के लिए तैयार हैं। गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को दिल्ली में हुई घटना के बारे में  उन्होंने  कहा कि यह सब सरकार द्वारा रची गई साजिश के तहत किया गया। यह केवल किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए किया गया है। दिल्ली पुलिस ने गृह मंत्री अमित शाह के इशारे पर यह सब किया है, जैसा कि जारी किए गए वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। कुछ और तस्वीरें फेसबुक पर भी देखें यहां क्लिक करके 

उन्होंने यह भी कहा कि किसानों के साथ सहमत हुए मार्गों को बंद कर दिया गया था और किसानों को उस रास्ते पर डायवर्ट कर दिया गया जो इंडिया गेट और लाल किला को जाते हैं। उन्होंने मांग की कि इन सभी घटनाओं की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए, दोषियों को दंडित किया जाना चाहिए और प्रधानमंत्री मोदी को इसके लिए नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए। 


कामरेड मंगतराम पासला ने कहा आंदोलन और मज़बूत हो रहा है 

आज वेरका मिल्क प्लांट के सामने हुई सभा को संबोधित करते हुए, कॉमरेड मंगत राम पासला ने कहा, "हम इस बात से संतुष्ट हैं कि सरकार के लाख प्रचार के बावजूद आंदोलन दिन-ब-दिन मजबूत होता जा रहा है।" उन्होंने घोषणा की कि जिस दिन इन काले कानूनों को वापस ले लिया जायेगा उस दिन संयुक्त मोर्चा का आंदोलन और धरना समाप्त हो जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि सरकार के पास मौजूदा सत्र में उन्हें वापस लेने और एमएसपी अधिनियम लागू करने का अवसर है। 


सभा को संबोधित करने वालों में चमकोैर सिंह, प्रो:जयपाल सिंह, डीपी मौड, डॉ गुलजार पंधेर, डॉ राजिंदर पाल सिंह औलख, दीपक कुमार तथा परवेज सिंह औलख शामिल थे। डाक्टर अरूण मित्रा, परमजीत सिंह, एम एस भाटिया, जगदीश कुमार, बलदेव सिंह वालिया, केवल सिंह बनवैत, कामरेड रमेश रतन, कामरेड विजय कुमार, कामरेड सुरिंदर कौर गिल जयपाल और जसवंत जीरख भी शामिल  हुए ।


महिलाओं ने भी की बड़ी संख्या में शमूलियत 
आज की इस  जन सभा में महिलाओं ने भी बड़ी संख्या में शमूलियत की। युवा लड़कियों ने अपने माटो और बैनर उठा कर सभी वक्ताओं को बहुत ही ध्यान से सुना। सारे प्रबंधन में इन  सहयोग दिया। गोदी मीडिया को मुँहतोड़ जवाब देते हुए भी इन लड़कियों ने सक्रिय पत्रकारिता में भागीदारी का संकेत दिया। भविष्य में अब जनपत्रकारिता  बोलबाला होगा इस बात को आज की जनसभा में देखा जा सकता था। बहुत से लोगों से जब गोदी मीडिया के संबंध में पूछा गया था ज़्यादातर लोगों का जवाब था कि वे टीवी देखना ही छोड़ चुके हैं। वे अब सोशल मीडिया से ही सच्चाई का पता लगाते हैं। कुछ और तस्वीरें फेसबुक पर भी देखें यहां क्लिक करके 

गीतसंगीत भी हुआ
आज के इस धरने में गीत संगीत भी हुआ। मोहम्मद शफ़ीक़ आलम ने जहां राहत इंदौरी साहिब की शायरी प्रस्तुत की वहीं बिहाईव थिएटर के कलाकारों ने भी अपने गेट संगीत से इस जनसभा को बांधे रखा। लोगों ने इन कलाकारों को पूरे ध्यान से सुना और तालियों से उनकी सुरमें भी सुर मिलाया। श्रोताओं की तालियों से मिला सुरताल एक अलग ही रंग बांध रहा था। (डेस्क इनपुट:कार्तिका सिंह)

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