Monday: 10th August 2020 at 6:26 PM
टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन ने भी किया रोष प्रदर्शन
लुधियाना: 9 अगस्त 2020: (कामरेड स्क्रीन ब्यूरो)::
आज मज़दूर पुस्तकालय, ताजपुर रोड पर टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन की तरफ से ज़ोरदार रोष प्रदर्शन किया गया। केंद्र सरकार की मज़दूर विरोधी जन विरोधी नीतियों के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों के तहत आज रोष प्रदर्शन के उपरांत ई. डब्ल्यू. एस. कॉलोनी, लुधियाना में पैदल मार्च करके पर्चा वितरित किया। इस रोष सभा को संबोधित करते हुए यूनियन अध्यक्ष राजविंदर ने कहा कि भाजपा की हुकूमत में मज़दूरों से श्रम अधिकार छीने जा रहे हैं, जन सुविधाओं को छीना जा रहा है, देश के अंदर बड़े पैमाने पर धार्मिक नफरत फैलाकर लोगों का ध्यान बांट कर देश के सार्वजनिक उपक्रमों को पूंजीपतियों के हाथ कौड़ियों के दाम बेचा जा रहा है, निजीकरण किया जा रहा है, आज समाज का हर तबका केंद्र व राज्य सरकारों की जनविरोधी नीतियों की मार झेल रहा है। पहले ही देश की अर्थव्यवस्था भयंकर मंदी से गुजर रही थी और अब बची खुची कसर कोरोना समय में जबरदस्ती का लॉकडाउन लगाकर लोगों को घरों में बंद कर काम धंधे चौपट कर दिए गए हैं। इस मुसीबत के वक्त भी केंद्र व राज्य सरकार ने मज़दूरों और मेहनतकशों की कोई सार नहीं ली, ऊपर से जनता पर टैक्सों का बोझ बढ़ाया जा रहा है, महंगाई बढ़ रही है। कारखानों में मज़दूरों के साथ मालिक गुंडागर्दी कर रहे हैं। वेतन पीस रेट घटाने की खबरें आ रही हैं। और बीमारियों के दवा इलाज के लिए कोई पुख्ता प्रबंध नहीं है जिसके चलते मजदूर वक्त से पहले ही डीएम तोड़ रहे हैं। सत्ता उनको मौत बांट रही है। इसके अलावा बड़े पैमाने पर निजीकरण करके रही सही जन सुविधाओं को छीना जा रहा है, महंगा किया जा रहा है। पक्की नौकरियां खत्म की जा रही हैं ठेका प्रथा लागू की जा रही है। देशी-विदेशी पूंजीपतियों के दबाव के आगे मज़दूरों के हक में बने श्रम कानूनों को पूंजीपतियों के फायदे में बदला जा रहा है। देश में मज़दूरों मेहनतकशों की आवाज़ उठाने वाले, संप्रदायिक सौहार्द कायम करने की बात करने वाले जनवादी अधिकार कार्यकर्ताओं को जेलों में ठूसा जा रहा है। वक्ता ने आगे कहा कि हम मांग करते हैं सरकार लॉकडाउन के समय मज़दूरों-मेहनतकशों के हुए नुकसान की भरपाई करे, लॉकडाउन के समय का मज़दूरों को पूरा वेतन दिया जाए, कोरोना की आड़ लेकर सरकारी उपक्रमों को बेचना बंद किया जाए, कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाए, श्रम कानूनों में मज़दूर विरोधी संशोधन रद्द किए जाएं, सभी कारखानों में श्रम कानून लागू किए जाएं, जनता पर टैक्सों का बोझ कम किया जाए और पूंजीपतियों पर महामारी टैक्स लगाया जाए, तीन नए खेती ऑर्डिनेंस वापस लिए जाएं, बिजली विभाग को पूंजीपतियों के हाथ में सौंपने वाला बिजली बिल वापस लिया जाए, जेलों में बंद किए गए जनवादी अधिकार कार्यकर्ताओं को रिहा किया जाए और जनता की आवाज दबाने वाले काले कानून रद्द किए जाएं। आगे सभा को संबोधित करते हुए कामरेड जगदीश ने कहा कि सरकार सिर्फ बड़े पूंजीपतियों के इशारों पर काम कर रही है और देश के मज़दूरों-मेहनतकशों की तबाही और बर्बादी के लिए पूरी तरह ज़िम्मेदार है। कोरोना महामारी का भय खड़ा करके लोगों को घरों में बंद करके सरकार लगातार जनविरोधी नीतियां लागू कर रही है। इसलिए लोगों को अपने अधिकारों की रक्षा के लिए और सरकार के जनविरोधी कदमों को वापस हटाने के लिए सड़कों पर उतरना होगा। साथी ताज मोहम्मद ने कविता पाठ किया और सरकार के फासीवादी जातिवादी कदमों का विरोध करने का आह्वान किया। अंत में कॉलोनी में जोरदार नारों के साथ पैदल मार्च किया।
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