Sunday: 9th August 2020 at 3:51 PM
कारखाना मज़दूर यूनियन ने किया रोषपूर्ण प्रदर्शन
लुधियाना: 9 अगस्त 2020: (कामरेड स्क्रीन ब्यूरो)::
अगर कोरोना की आड़ में मज़दूरों और संघर्षशील संगठनों के दमन की साज़िशों का सिलसिला शुरू है तो उसके तीखे प्रतिरोध ने भी अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। आज कारखाना मज़दूर यूनियन, पंजाब ने फोकल प्वाइंट, लुधियाना में जोरशोर से इस जन सत्य को साबित किया। मज़दूरों मेहनतकशों ने आज फिर अपने जन्मसिद्ध अधिकारों के लिए आज दिखाया कि वे लोग कोरोना की आड़ में लगाई पाबंदियों से दबने वाले नहीं। कोरोना की आड़ में केंद्र व राज्य सरकारों की पूँजीपति वर्ग के पक्ष में लागू की जा रही जनद्रोही नीतियों के खिलाफ़ बहुत ही जबर्दस्त रोष प्रदर्शन किया गया। आज पूरे देश में मज़दूर संगठनों के आह्वान पर इसी तरह के ज़ोरदार रोष प्रदर्शन हुए हैं।
कारखाना मज़दूर यूनियन द्वारा रोष प्रदर्शन को संबोधित करते हुए यूनियन के अध्यक्ष लखविंदर, यूनियन नेताओं जसमीत, विमला, धर्मवीर, तेजू प्रसाद, नौजवान भारत सभा के नवजोत ने केंद्र की मोदी सरकार व पंजाब की कैप्टन सरकार द्वारा कोरोना की आड़ में पूँजीपति वर्ग के पक्ष में लागू की जा रही दमनकारी आर्थिक-राजनीतिक-सामाजिक नीतियों की सख्त आलोचना की। वक्ताओं ने कहा कि कोरोना उतनी बड़ी बीमारी ही नहीं निकली जितना कि दावा किया गया था। कोरोना के बहाने लगाए गए लॉकडाउन से तबाह बर्बाद की गई अर्थव्यवस्था का सारा बोझ मज़दूरों-मेहनतकशों पर ही पड़ा है। भारत के हुक्मरानों ने तो दमन और बेशर्मी की सारी हदें पार करते हुए दुनिया का सबसे सख्त और दमनकारी लॉकडाउन किया जिसके जरिए जनता के जनवादी अधिकारों को ही कुचला गया।
कारखाना मज़दूर यूनियन ने श्रम क़ानूनों में संशोधनों को रद्द करने, श्रम अधिकार लागू कराने, श्रम क़ानूनों का उल्लंघन करने वाले पूँजीपतियों को सख़्त सज़ाएं देने, लॉकडाउन के कारण मज़दूरों के हुए नुकसान के लिए मुआवज़ा, छंटनियों पर रोक लगाने, बंद और मंदी के समय की पूरी तनख़्वाह देने, बेरोज़गारों को बेरोज़गारी भत्ता देने, सभी बीमारियों के मुफ़्त इलाज, कच्चे स्वास्थ्य कर्मियों को पक्का करने, सभी स्वास्थ्य सुविधाओं के सरकारीकरण, सभी मज़दूरों को मुफ़्त अनाज देने, जन-वितरण प्रणाली का प्रसार करने, कोरोना के बहाने पूँजीपतियों को राहत पैकेज के नाम पर मेहनतकश जनता का पैसा लुटाना बंद करने और उन पर भारी टेक्स लगाकर मज़दूरों-मेहनतकशों को सुविधाएँ देने, महँगाई पर लगाम लगाने, निजीकरण की नीति रद्द करने, रेलवे, बिजली महकमों का निजीकरण तुरंत रद्द करने, तीन कृषि अध्यादेश व प्रस्तावित बिजली संशोधन बिल रद्द करने की माँग की है। जनवादी अधिकारों का हनन बंद करने, झूठे पुलिस मामलों में जेलों में बंद किए गए जनवादी कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों, पत्रकारों को तुरंत रिहा करने, नाजायज गिरफ़्तारियाँ बंद करने की माँग भी की गई।
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