सोमवार 12 दिसंबर 2022 अपराह्न 03:04 बजे
श्रम कानूनों के घोर उल्लंघन का मुद्दा फिर गरमाया
चंडीगढ़: 12 दिसंबर 2022: (कार्तिका सिंह//कॉमरेड स्क्रीन डेस्क)::
राजनीतिक दलों का यह दोहरा चरित्र लंबे समय से चला आ रहा है। ऐसी पार्टियां और ऐसी सरकारें किसी न किसी बहाने से केवल पूंजीपतियों और उद्योगपतियों का ही पक्ष लेती हैं। मज़दूरों का खून निचोड़ कर अमीर बनने वाले इन पूंजीपतियों के खिलाफ मज़दूरों का गुस्सा भी लगातार बढ़ता जा रहा है। इस गुस्से को नियंत्रित रखने में भी ट्रेड यूनियन लहर काफी कुछ सकारत्मक करती है। मज़दूरों के प्रति ईमानदार ट्रेड यूनियनों ने कई बार इस अन्याय के प्रति गंभीरता भी दिखाई है और साहसिक कदम उठाए हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर जन कार्रवाई के बिना यह सब न कभी बेनकाब होगा और न ही कभी पूरी तरह बंद होगा।
सबसे पुराने ट्रेड यूनियन संगठन "एटक" यानी "ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन काउंसिल" की पंजाब स्टेट कमेटी ने इस तरह का चलन जारी रहने का गंभीर नोटिस लिया है और इस पर गहरी चिंता भी व्यक्त की है। एटक की राज्य कमेटी ने मांग की है कि इस चलन पर तुरंत रोक लगाई जाए और उद्योगपतियों के खिलाफ लंबित मामलों का तुरंत फैसला किया जाए। इसके साथ ही एटक ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि ऐसे लोगों को कानून का उल्लंघन करने पर सख्त सजा दी जानी चाहिए और वह भी बिना किसी देरी के।
एटक ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा कि श्रम कानूनों के घोर उल्लंघन के कारण पंजाब के उद्योगपतियों के खिलाफ विभिन्न अदालतों में 500 से अधिक आपराधिक मामले लंबित हैं। फैक्ट्रीज एक्ट 1948, ईएसआईसी (कर्मचारी राज्य बीमा निगम) और कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) जैसे विभिन्न कानूनों की धज्जियां उड़ाकर श्रमिकों की लूट के कारण फंसे उद्योगपतियों ने पंजाब सरकार से अब माफी का अनुरोध किया है।
भारतीय उद्योग मंडल पंजाब राज्य परिषद के अध्यक्ष अमित थापर ने पंजाब के मुख्यमंत्री से इन सभी आपराधिक मामलों से उद्योगपतियों को बरी करने के लिए पहल करने की अपील की है। उद्योगपतियों के इस कदम का पंजाब के अध्यक्ष बंत सिंह बराड़ और महासचिव निर्मल सिंह धालीवाल ने तीखा विरोध किया है।
कामरेड निर्मल सिंह धालीवाल ने इसका पुरजोर विरोध करते हुए इस साज़िशी मांग को आड़े हाथों लिया है और मांग की है कि सरकार अपने श्रम विभाग का प्रयोग कर के कानूनों की धज्जियां उड़ाने वाले इन लोगों के खिलाफ प्राथमिकता के आधार पर कार्रवाई करे। एटक ने स्पष्ट कहा कि इन लोगों की बेइंसाफी भरी हरकतों का शिकार बने भोले-भाले मजदूरों को न्याय दिया जाए।
दोनों ट्रेड यूनियन नेताओं ने आरोप लगाया है कि पिछली सरकारों की मज़दूर विरोधी नीतियों के चलते इन लोगों ने श्रम विभाग के साथ मिलकर पूरी तरह से मज़दूरों को लूटा है और पिछले 10 सालों से न्यूनतम वेतन में भी कोई बढ़ोतरी नहीं की है। एटक के दोनों नेताओं ने कहा है कि अब उद्योगपति केंद्र सरकार द्वारा लाए जा रहे मजदूर विरोधी 4 श्रम संहिता का सहारा लेकर आरोपों से माफी की मांग कर रहे हैं।
उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की है कि अगर भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई कदम उठाना है तो सबसे पहले मज़दूरों का शोषण करने वालों के खिलाफ सख्त निर्णय लेकर कर्मचारियों व कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान किया जाए। सरकार को उन्हें रियायतें देने के किसी भी दबाव के आगे नहीं झुकना चाहिए।
अब देखना होगा कि एटक की इस जोरदार मांग का पंजाब सरकार पर क्या असर पड़ता है?पंजाब सरकार पीड़ित मजदूरों को न्याय देती है या उद्योगपतियों को माफी, यह तो समय आने पर ही पता चलेगा। अमीरों का धन और गरीबों का वोट दोनों ही राजनीतिक दलों के लिए सदा से ही आवश्यक रहे हैं। क़ज़ा आज के आधुनिक युग में यही सब चलेगा?
तमाम दबावों के बावजूद मज़दूर श्रमिक और अन्य कार्यकर्ता आज भी साहिर लुधियाना साहिब के इस गीत के प्रति समर्पित हैं।
हम मेहनतकश इस दुनिया से जब अपना हिस्सा मांगेंगे!
इक बाग़ नहीं, इक खेत नहीं, हम सारी दुनिया मांगेंगे!
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