1 जनवरी 2023 को शाम 06:10 बजे
'देश सेवक' की शमा को हम बुझने नहीं देंगें:कॉमरेड युसूफ तारिगामी
ऐसे माहौल में 'देश सेवक' की 27वीं जयंती बहुत ही भव्य तरीके से मनाई गई जिसमें दूर-दूर से आम कार्यकर्ताओं, मज़दूरों और किसानों के नेता पहुंचे. करतार सिंह, एक बुजुर्ग व्यक्ति, लुधियाना के एक गाँव से आया था और उसकी उम्र 75 वर्ष से अधिक थी। इन सभी ने एक धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और जन-समर्थक रुख बनाए रखने का संकल्प लिया और कॉमरेड हरकिशन सिंह सुरजीत के सपनों को साकार करने के प्रयासों को जारी रखने का संकल्प दोहराया। माकपा के राज्य सचिव और दैनिक देश सेवक के प्रबंध निदेशक कॉमरेड सुखविंदर सिंह सेखों ने देश सेवक द्वारा निभाई गई भूमिका के बारे में बहुत कुछ याद दिलाया।
स्थानीय सेक्टर 29-डी के बाबा सोहन सिंह भकना भवन में पूरा दिन भर चहल-पहल रही। गर्म चाय और पकौड़े अटूट लंगर के रूप में वितरित हो रहे थे। कड़ाके की ठंड के बीच गर्मजोशी भरे जज़्बातों से भरे लोग दूर दूर से पहुंचे थे। इस तरह देश सेवक की 27वीं वर्षगांठ भव्य तरीके से मनाई गई। समारोह बेशक एक घंटे की देरी से शुरू हुआ लेकिन शुरू होने के बाद बिना रुके चलता रहा। मंच से बोलने वाला हर वक्ता अनमोल था। उसका जहर शब्द नई जानकारी से भरा था। इस तरह हर पल स्मरणीय बना रहा। इस कार्यक्रम को सुनने से एक पल भी वंचित रहना एक घाटे का सौदा था। इस स्मृति समारोह की अध्यक्षता माकपा राज्य सचिवालय सदस्य कामरेड भूपचंद चन्नो ने की और मंच सचिव की जिम्मेदारी निभा रहे राज्य सचिवालय सदस्य कामरेड गुरदर्शन सिंह खासपुर ने निभाई।
बड़ी संख्या में लोग इसमें शामिल होने के लिए उत्सुकता से पहुंचे पहुंचे हुए थे। यह हर उम्र के लोग थे। पार्टी के प्रोग्रामों से पूरी तरह जुड़े हुए लोग। इन्हें मीडिया की समझ बेशक ज़्यादा न भी रही हो लेकिन आज जनता का पक्ष लेने वाला मीडिया कितना महत्वपूर्ण हो गया है इसका पता इन्हें ज़रूर था।
इस कार्यक्रम में विशेष रूप से माकपा के सेंट्रल कमेटी सदस्य और जम्मू-कश्मीर से कई बार विधायक कॉमरेड मुहम्मद यूसुफ तारिगामी भी विशेष रूप से पहुंचे हुए थे। लोग उन्हें सुनने को उत्सुक थे। कॉमरेड सुखविंदर सिंह सेखों, 'देश सेवक' के एमडी और सीपीआई (एम) के राज्य सचिव, राज्य सचिवालय सदस्य कॉमरेड राम सिंह नूरपुरी, कॉमरेड गुरनेक सिंह बजल, कॉमरेड सुचा सिंह अजनाला, कामरेड सुखप्रीत सिंह जोहल, कॉमरेड अब्दुल सतार, चेतन शर्मा, इस कार्यक्रम में देश सेवक के स्थानीय संपादक सह महाप्रबंधक, संपादक रिपुदमन रिप्पी और देश सेवक के मुद्रक और प्रकाशक रंजीत सिंह शामिल हुए। पंजाब का शायद ही कोई ऐसा कोना हो जहां से देश सेवक से जुड़े लोगों के एक जा दो प्रतिनिधि न पहुंचे हों।
इस मौके पर देश सेवक के मिशन को और आगे ले जाने की बात भी कही गई। इस बीच, एक बड़ी सभा को संबोधित करते हुए कॉमरेड युसूफ तारिगामी ने कहा कि उन्हें आज नए साल का तोहफा मिला है, क्योंकि वे आपस में बैठकर अपने दिल की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 1920 के दशक में ब्रिटिश सरकार द्वारा बंद किए गए 'देश सेवक' को फिर से शुरू करने की इच्छा कामरेड हरकिशन सिंह सुरजीत के मन में लगातार बनी रही और इसे अपनी जिम्मेदारी समझते हुए उन्होंने 1 जनवरी 1996 को इस सपने को साकार किया।
इस तरह कामरेड सुरजीत ने देश सेवक के पुनर आगमन के इस सुअवसर को फिर से सच कर दिखाया। इस प्रकार देश सेवक का संघर्ष भरा इतिहास एक बार फिर सामने आ गया, जिससे आज भी बहुत से लोग अनभिज्ञ हैं। स्वतंत्र और जनसमर्थक मीडिया के रास्ते में आने वाली कठिनाइयों की भी बात हुई। कॉमरेड युसूफ तारिगामी ने कहा कि इस पल को किसी भी सूरत में फीका नहीं पड़ने दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि आज सही मायनों में पत्रकारिता बहुत कठिन कार्य है। संपादक को कलम उठाने से पहले सोचना पड़ता है, क्योंकि यदि आदेश का उल्लंघन होता है तो उस संपादक के खिलाफ ईडी, सीबीआई या कोई अन्य एजेंसी कार्रवाई कर सकती है. उन्होंने कहा कि 'देश सेवक' ने अब तक कई चुनौतियों का सामना किया है और भविष्य में भी करना होगा, जिसका सामना करने के लिए हम पूरी तरह से तैयार हैं।
इस यादगार समारोह के मौके पर 'देश सेवक' के कैलेंडर और डायरी का भी विमोचन किया गया। कॉमरेड युसूफ तारिगामी ने कहा कि 'देश सेवक' कभी भी अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटा है और वह अपने पाठकों के प्रति जवाबदेह है और रहेगा. उन्होंने कहा कि यह अखबार दबे-कुचले लोगों का मुखपत्र बन गया है और उनके मुद्दों को प्रमुखता से उठाया है।
कॉमरेड युसूफ तारिगामी ने कहा कि आज जब देश की स्थितियों को शासकों ने दूसरी दिशा में मोड़ दिया है तो शासकों की लोकलुभावन नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए 'देश सेवक' की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। उन्होंने जनता को समर्पित मीडिया के महत्व की भी बहुत सी गहरी बातें विस्तार से कहीं।
उन्होंने कहा कि आज संवैधानिक संस्थाओं पर खतरा है क्योंकि शासक अपने निजी स्वार्थों के लिए इनका दुरुपयोग कर रहे हैं.जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार बताए कि क्या यह हमारे संविधान के खिलाफ है. कोई उपवाक्य नहीं है, या यह किसी विदेशी संविधान का उपवाक्य है? उन्होंने कहा कि जब भारत का संविधान लिखा गया था तो उसमें यह खंड भी शामिल था।
उन्होंने कहा कि जहां केंद्र शासित प्रदेश हैं, वहां उन्हें राज्य बनाने की मांग हो रही है. इसके विपरीत, जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया गया है और इसे दो भागों में विभाजित कर एक केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है।उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद, लोगों को वहाँ जो हुआ वह स्पष्ट है। लोगों के बोलने, सुनने, कपड़े पहनने, खाने-पीने और चलने पर पाबंदियां लगा दी गई हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र को बताना चाहिए कि क्या ये लोग भारत के नागरिक नहीं हैं. उनके साथ दोयम दर्जे के नागरिकों जैसा व्यवहार किया जाता था।
कामरेड युसूफ तारिगामी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग लोकतंत्र प्रेमी लोग हैं, उन्होंने 1947 में बंटवारे के वक्त आपसी भाईचारे का रास्ता नहीं छोड़ा और उससे पहले देश की आजादी के लिए लड़े संघर्ष में भी अपनी भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि केंद्र की तरफ से पंजाब और जम्मू कश्मीर, जो दोनों सीमावर्ती राज्य हैं, पर विशेष प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इन दोनों राज्यों के लोग भिखारी नहीं हैं, वे नागरिकों की तरह व्यवहार करना चाहते हैं। वे अपना अधिकार चाहते हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब में 50 किलोमीटर का इलाका बीएसएफ को सौंप दिया गया है, जहां से सत्ताधारियों की मंशा देखी जा सकती है। पंजाब के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि पंजाब के लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में बहुत बड़ा योगदान दिया, लेकिन आतंकवाद के दौर में भी भाईचारा बनाए रखा और दिल्ली की सीमा पर लड़े गए 'किसान आंदोलन' में प्रमुख भूमिका निभाई।
उन्होंने कहा कि किसान चाहे जम्मू-कश्मीर का हो या पंजाब का, वह खेती में लगा रहेगा और उसकी रक्षा करेगा और फसलों की कीमत भी खुद तय करेगा। कॉमरेड युसूफ तारिगामी ने कहा कि बीजेपी को अब समझ लेना चाहिए कि देश की जनता उसके इशारों पर ज़्यादा दिन चलने वाली नहीं है।
अंत में उन्होंने 'देश सेवक' के पूरे प्रबंधन को उसकी 27वीं वर्षगांठ पर बधाई दी और साथ देने का आश्वासन भी दिया। रोज़ाना देश सेवक के प्रबंध निदेशक और पार्टी के प्रदेश सचिव कामरेड सुखविंदर सेखों ने भी मंच से ऐसे कई मामलों का जिक्र किया जिनमें देश सेवक ने सतर्क और ज़िम्मेदार मीडिया की भूमिका निभाई। उन खास समाचारों की बातें भी हुई जिन्हें छपने की हिम्मत केवल देश सेवक ने भी निभाई। सिर्फ देश सेवक ने ही सबसे पहले सनसनीखेज़ खुलासे किए जो पूरी तरह सच भी थे। इन्हें छापने का साहस देश सेवक ने ही दिखाया।
एक प्रसिद्ध डेरे की खबर का ज़िक्र याद दिलाते हुए कॉमरेड सेखों ने कहा कि 2002 में जब इस खबर वाली गुमनाम चिट्ठी छपी थी तो उस दिन की खबर 200 रुपये से 500 रुपये तक प्रति अखबार ब्लैक में भी बिक रही थी। देश सेवक अपनी निष्पक्षता और साहस के कारण लोगों के बीच लोकप्रिय हुआ। कामरेड सेखों ने कहा कि देश सेवक को जल्द ही तीन भाषाओं में प्रकाशित करने की योजना बनाई जा रही है ताकि ये अखबार उत्तर भारत के एक मजबूत मीडिया के रूप में उभरें।
इस विशेष सभा को संबोधित करते हुए कॉमरेड सेखों ने कहा कि कॉमरेड हरकिशन सिंह सुरजीत का मिशन था कि एक ऐसा अखबार होना चाहिए जो साम्प्रदायिक विभाजन और रूढ़िवाद का विरोध करे। इसी मिशन के तहत आज से 27 साल पहले उन्होंने 'देश सेवक' को फिर से शुरू किया। उन्होंने कहा कि इस दौरान बड़ी मुश्किलें आईं और कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन 'देश सेवक' अपने रास्ते पर बेखौफी से चलता रहा। उन्होंने याद दिलाया कि 'देश सेवक' ने कई खबरें प्रमुखता से छापी, जिनका संबंध समाज से था।
उन्होंने कहा कि 25 सितंबर 2002 को देश सेवक में सिरसा की एक तथाकथित साध्वी द्वारा यौन शोषण की शिकार एक लड़की द्वारा लिखा गया गुमनाम पत्र प्रकाशित किया गया था, जिसका स्वत: संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। इस मामले के खुलासे ने सारी दुनिया में हलचल सी मचा दी थी। मामला।तथाकथित धर्मस्थलों की हकीकत को सामने लाया था देश सेवक।
उन्होंने कहा कि जब पंचकूला की सीबीआई अदालत ने 25 अगस्त, 2017 को इस तथाकथित साध को सजा सुनाई, तो 26 अगस्त, 2017 के अंग्रेजी ट्रिब्यून ने अपनी छपी खबर में 'देश सेवक' और तथाकथित साधु बाबाओं की भूमिका का खुलकर उल्लेख किया था। गौरतलब है कि 'देश सेवक' में इस साध के खिलाफ कांड भी प्रकाशित हुआ था। उसे गुमनाम पात्र को देश सेवक ने ही पहल करके छपा था।
उन्होंने कहा कि कॉमरेड सुरजीत का सपना था कि 'देश सेवक' तीन भाषाओं में प्रकाशित हो और यह उत्तर भारत का प्रमुख समाचार पत्र बने। उन्होंने कहा कि कामरेड सुरजीत के इस सपने को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है।
कामरेड सुरजीत की यादों और सपनों के विषय पर कॉमरेड सेखों ने बताया कि कॉमरेड हरकिशन सिंह सुरजीत का नाम स्कूल से तब हटा दिया गया जब वह 9वीं कक्षा में पढ़ रहे थे, पार्टी की मांग पर सरकार ने उस स्कूल को कॉमरेड हरकिशन सिंह सुरजीत में बदल दिया है। इसी तरह जंडियाला से नवां पिंडा तक की साढ़े 24 किमी लंबी सड़क का नाम भी कॉमरेड हरकिशन सिंह सुरजीत के नाम पर रखा गया है।
उन्होंने कहा कि कामरेड सुरजीत ने स्वतंत्रता संग्राम में बहुत बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि 23 मार्च, 1932 को कांग्रेस की ओर से डीसी कार्यालयों पर तिरंगा फहराने और यूनियन जैक फहराने का निमंत्रण दिया गया था, लेकिन बाद में इस निमंत्रण को वापस ले लिया गया. उन्होंने कहा कि इस मौके पर कॉमरेड सुरजीत 16 साल के थे और वह होशियारपुर कांग्रेस कार्यालय पहुंचे और उनसे पूछा कि आवाहन का क्या हुआ, तो उन्हें बताया गया कि उसे वापस ले लिया गया है। इस पर कामरेड सुरजीत नाराज़ हुए और पुछा की इसे वापिस क्यों लिया गया। इस पर वहां किसे ने कॉमरेड सुरजीत से कहा गया कि अगर आपकी इच्छा है तो आप खुद तिरंगा चढ़ा दें।
इस पर कामरेड सुरजीत डीसी कार्यालय पहुंचे और यूनियन जैक हटाकर तिरंगा फहराया। उन्होंने कहा कि पार्टी ने इस स्थान को कामरेड सुरजीत के स्मारक के रूप में विकसित करने की मांग की है। कामरेड सेखों ने कहा कि 23 मार्च को जिस स्थान पर कॉमरेड हरकिशन सिंह सुरजीत का जन्म दिवस मनाया जायेगा, उसी स्थान पर शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव का शहीदी दिवस भी मनाया जायेगा। इस मौके पर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड सीताराम येचुरी पहुंचेंगे।
देश सेवक वर्षगांठ के इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए 'देश सेवक' के स्थानीय संपादक सह महाप्रबंधक चेतन शर्मा ने कहा कि नए प्रबंधन ने पांच साल पहले संगठन का प्रबंधन संभाला था. इस दौरान कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले। उन्होंने कहा कि कामरेड सुरजीत की सोच पर पहरा देकर 'देश सेवक' की बेहतरी के लिए दिन-रात एक किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कॉमरेड सुरजीत का सपना था कि 'देश सेवक' का प्रकाशन अन्य भाषाओं में भी हो, इसलिए 2020 में संस्था ने एक पंजाबी और अंग्रेजी वेबसाइट शुरू की। उन्होंने कहा कि ढाई साल में एक करोड़ 97 लाख दर्शक इससे जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि आज के दौर में मीडिया की क्या स्थिति है, यह सभी जानते हैं, लेकिन 'देश सेवक' ने निष्पक्ष पत्रकारिता की राह नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा कि जल्द ही दूसरी भाषा में भी 'देश सेवक' शुरू होने जा रहा है।
दैनिक 'देश सेवक' के संपादक रिपुदमन रिप्पी ने बोलते हुए कहा कि 'देश सेवक' ने हमेशा लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की रक्षा की है और लगातार जन-समर्थक दृष्टिकोण अपनाया है। उन्होंने कहा कि आज देश की आम जनता महंगाई और बेरोजगारी के बोझ तले जी रही है और सामाजिक स्तर पर सत्ताधारियों द्वारा धर्म के आधार पर जहरीली साम्प्रदायिकता फैलाई जा रही है, जिससे लोगों में फूट पड़ रही है। ऐसे नाज़ुक माहौल में "देश सेवक" जैसे अखबारों की ज़िम्मेदारी खूब बढ़ जाती है।
इसी बीच 'देश सेवक' का साल 2023 का कैलेंडर और डायरी भी जारी की गई। अंत में, कॉमरेड भूप चंद चन्नो ने कार्यक्रम में आए सभी लोगों का धन्यवाद किया। भी पी। सिंह नागरा और अन्य भी अंत तक पूरी तरह से सक्रिय रहे। कुल मिलाकर, कई पुराने मित्रों, जो इस परिवार के सक्रिय सदस्य भी थे, की अनुपस्थिति तो बहुत खली लेकिन इसके बावजूद यह आयोजन बहुत यादगारी रहा।
आयोजन में पहुंचने वाले लोगों की सही संख्या का अनुमान लगाने में भी आयोजक कुछ चूक गए। हॉल में इतने लोग पहुँच गए थे की वहां खड़ा होना भी काफी मुश्किल हो रहा था जिससे मीडिया को भी कवरेज करने में दिक्कत हो रही थी। लंगर भी इसी वजह से काम पड़ता महसूस हुआ। वैसे बड़े आयोजनों में तमाम कोशिशों के बावजूद यह सब कुछ न कुछ कहीं न कहीं रह ही जाता है। अब उम्मीद है की अगले बरस 28 वीं वर्षगांठ को और भी बड़े पैमाने पर मनाया जाएगा। गोदी मीडिया की बड़ी संख्या के कारण जनता को समर्पित मीडिया की भूमिका और भी बढ़ जाती है।
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