Thursday, September 12, 2024

लाल सलाम, कॉमरेड सीताराम येचुरी!

कॉमरेड सीताराम येचुरी को श्रद्धांजलि: अटूट समर्पण का जीवन

नई दिल्ली: 12 सितंबर 2024: (कॉमरेड स्क्रीन डेस्क)::

भारतीय वामपंथी आंदोलन के दिग्गज कॉमरेड सीताराम येचुरी अब हमारे दरम्यान नहीं रहे। आज  सितंबर, 2024 को उनका निधन हो गया, वह अपने पीछे समाजवाद, समानता और न्याय के लिए अटूट समर्पण की विरासत छोड़ गए। जिसके लिए उन्होंने लम्बा संघर्ष भी किया। उनके जाने की खबर का पता लगने के बाद हर तरफ दुःख की लहर है। शोक संदेशों की बाद सी आ गई है। शोक संदेश भेजने वालों में लेखक भी विशेष तौर पर शामिल हैं। गौर तलब है कि श्री येचुरी ने बहुत सी किताबें भी लिखीं। 

12 अगस्त, 1952 को मद्रास में जन्मे येचुरी हैदराबाद में पले-बढ़े और बाद में दिल्ली चले गए, जहाँ वे छात्र राजनीति में शामिल हो गए। वे 1974 में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) और 1975 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) में शामिल हुए। उनका राजनीतिक जीवन चार दशकों से अधिक समय तक चला, जिसके दौरान उन्होंने 2015 से 2022 तक सीपीआई (एम) के महासचिव सहित विभिन्न नेतृत्व पदों पर कार्य किया।

वामपंथी नेता होने के साथ साथ येचुरी एक विपुल लेखक थे और उन्होंने राजनीति, अर्थशास्त्र और सामाजिक मुद्दों पर कई किताबें लिखीं। वे एक नियमित स्तंभकार भी थे और पार्टी के पाक्षिक समाचार पत्र, पीपुल्स डेमोक्रेसी का संपादन भी करते थे।

अपने पूरे जीवन में, येचुरी मार्क्सवाद-लेनिनवाद के सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्ध रहे और मजदूर वर्ग, किसानों और हाशिए के समुदायों के अधिकारों के लिए अथक संघर्ष किया। उन्होंने एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक जन-समर्थक सरकार के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में एक अभेद्य वामपंथी गढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

येचुरी का निधन न केवल वामपंथी आंदोलन के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक क्षति है। उनकी विरासत हमें एक अधिक न्यायपूर्ण, समतापूर्ण और समाजवादी भारत के लिए हमारे संघर्षों में प्रेरित और मार्गदर्शन करती रहेगी।

हम उनके परिवार, मित्रों और साथियों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। उनकी स्मृति एक आशीर्वाद बनी रहे और उनके जीवन के कार्य हमें एक बेहतर दुनिया के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित करते रहें।

लाल सलाम, कॉमरेड सीताराम येचुरी!

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