Saturday, February 23, 2013

भविष्यवाणी रूस के विशेषज्ञ तात्याना शाउम्यान की

21.02.2013, 14:24
क्या चीनी सैनिक हिंद महासागर में कदम रखने का साहस करेंगे?
                                                                           फ़ोटो: EPA
चीनी सैनिक निकट भविष्य में हिंद महासागर में अपने कदम रखने का साहस तो शायद नहीं करेंगे, लेकिन इस बात की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि चीन भविष्य में पाकिस्तानी बंदरगाह ग्वादर में अपनी नौसेना के लिए एक अड्डा बनाने की कोशिश कर सकता है। यह भविष्यवाणी रूस के प्राच्यविद्या संस्थान की एक विशेषज्ञ तात्याना शाउम्यान ने की है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान द्वारा अपनी इस बंदरगाह को चीन के नियंत्रण में देने से भारत द्वारा जताई गई चिंता एकदम उचित है।

पाकिस्तानी सरकार के इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए भारत के रक्षामंत्री ए. के. एंटनी ने कहा है कि "ग्वादर बंदरगाह चीन को सौंपे जाने पर हम बहुत चिंतित हैं।" तात्याना शाउम्यान ने भी नई दिल्ली के लिए गहरी चिंता के इस विषय का उल्लेख किया है।

रूसी विशेषज्ञ ने कहा कि ग्वादर बंदरगाह को लेकर भारत और चीन के बीच सन् 2007 से ही तनाव पैदा हो गया था। तब चीन ने ही इस बंदरगाह के निर्माण में सक्रिय रूप से भाग लेना शुरू किया था। तात्याना शाउम्यान का कहना है कि भारत की चिंता बिल्कुल वाजब है, क्योंकि यह बंदरगाह एक अति रणनीतिक स्थान पर मौजूद है। तात्याना शाऊम्यान के शब्दों में-

इस बात में कोई संदेद नहीं है कि चीन, इस प्रकार, भारत को दोनों ओर से घेर रहा है। तिब्बत की ओर से और अब फारस की खाड़ी में पाकिस्तानी बंदरगाह ग्वादर की ओर से। इसके अलावा, चीन हिंद महासागर में अपनी गतिविधियाँ बहुत ही सक्रिय रूप से बढ़ा रहा है। यह रणनीतिक दृष्टि से एक अति महत्वपूर्ण क्षेत्र है,

जहाँ से दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी एशिया, मध्य-पूर्व और अफ्रीकी तट पर स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है। इसलिए, ज़ाहिर है, इस क्षेत्र में आवश्यकता से अधिक चीन की गतिविधियों पर भारत को चिंता होगी ही।

बेशक, चीन द्वारा इस बात का खंडन किया जा है कि इस पाकिस्तानी बंदरगाह का उसकी नौसेना के लिए एक अड्डे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि चीन देर-सवेर अपने युद्धपोत इस बंदरगाह में भेजने चाहेगा। मज़ेदार बात यह है कि ग्वादर बंदरगाह के बगल में ही पाकिस्तानी नौसेना का अड्डा भी स्थित है। तात्याना शाउम्यान के अनुसार, ग्वादर बंदरगाह को लेकर भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच स्पष्ट रूप से तनाव बढ़ता जा रहा है। इस संबंध में रूसी प्राच्यविद् ने कहा-

मुझे ऐसा नहीं लग रहा है कि चीन दुनिया में अपने सैन्य ठिकाने स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन ग्वादर बंदरगाह का पाकिस्तान और चीन के बीच सैन्य संबंधों को मज़बूत बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। और यह भारत के लिए कोई खुशख़बरी नहीं है। फ़िलहाल को ऐसा लगता है कि चीन का इस इलाके में अपना कोई सैन्य अड्डा बनाने का इरादा नहीं है, लेकिन क्या भविष्य में ऐसा होगा, इस सवाल का जवाब तो भविष्य की झोली से ही मिल सकता है। लेकिन एक बात बड़ी साफ़ है कि चीन हिंद महासागर में अपनी स्थिति को मज़बूत बनाने की पूरी-पूरी कोशिश कर रहा है। कई देश इस इलाके में अपना प्रभाव बढ़ाने के प्रयास कर रहे हैं। 1980 के दशक में भी ऐसा ही हुआ था, लेकिन अब ग्वादर बंदरगाह के मुद्दे पर भारत और चीन के बीच तनाव काफ़ी बढ़ गया है।

कुछ विश्लेषकों का कहना है कि चीन ग्वादर बंदरगाह से फारस की खाड़ी और हिंद महासागर में अमरीकी नौसेना की गतिविधियों को नियंत्रित करने में सक्षम हो जाएगा। चीन शायद ऐसा इसलिए भी कर रहा है क्योंकि हिंद महासागर में अमरीका और भारत के बीच सैन्य सहयोग बढ़ने के लक्षण दिखाई देने लगे हैं। क्या अमरीका को ऐसी बड़ी छलांग लगाने के चीनी इरादों का पता नहीं था, इस सवाल के जवाब में तातियाना शाउम्यान ने कहा-

भारत की बढ़ रही क्षमता को होढ़ने के लिए अमरीका चीन का समर्थन कर सकता है लेकिन वह साथ ही साथ चीन के प्रभाव को बढ़ने से रोकने के लिए भारत का इस्तेमाल भी करना चाहेगा। इस प्रकार अमरीका दोहरा भी नहीं बल्कि तिहरा खेल खेल रहा है। तेज़ी से विकास कर रहे भारत और चीन, दोनों की क्षमताओं को सीमित करने में अमरीका की गहरी रुचि है।

ख़ैर जैसा भी हो, एक बात तो बड़ी स्पष्ट है कि ग्वादर बंदरगाह पर चीन का नियंत्रण हो गया है। और यह एक नई भू-राजनीतिक स्थिति है। चीन ने अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मार्ग पर अपने लिए एक नई जगह बना ली है।


क्या चीनी सैनिक हिंद महासागर में कदम रखने का साहस करेंगे?

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