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Monday, March 9, 2020

CAA के खिलाफ पंजाब के वाम संगठन भी पूरी तरह सक्रिय

9th March 2020 at 5:30 PM  
डिटेंशन कैम्पों में बंद लोगों को रिहा करने की मांग भी उठायी 
लुधियाना//चंडीगढ़: 9 मार्च 2020: (कामरेड स्क्रीन ब्यूरो)::
मुद्दा तो सीएए के विरोध का ही था लेकिन यही विरोध वाम संगठनों, दलित संगठनों और अल्पसंख्यकों को एक दुसरे के बेहद नज़दीक ले आया है। आज लुधियाना शाहीन बाग़ में हुई विशाल रैली में वाम के वे 14 जन संगठन शामिल हुए जिनका जनाधार बहुत  है। इन सक्रिय संगठनों की शमूलियत का क्या अर्थ है इस बात को राज्य और केंद्र सरकार की ख़ुफ़िया एजंसियां भी जानती हैं।  कार्यकर्ताओं के लिए चाय-पानी और लंगर का प्रबंध संगठन हर वक़्त वाहनों पर तैयार ही रखते हैं तांकि अगर कहीं अचानक भी मोर्चा लगाना पड़े तो हर तरह की तैयारी पूरी हो। विरोधियों की तरफ से साज़िशी और शरारती तत्वों के हमलों पर नज़र रखने और उनका तुरंत  जवाब देने का प्रबंध भी होता है। इन वाम संगठनों के प्रबंध पारम्परिक वाम पार्टियों से पूरी तरह अलग और ज़ोरदार हैं। इस लिए इन संगठनों का  लुधियाना के शाहीन बाग़ में आना साधारण समर्थन नहीं है। ये संगठन हैं जो दिल्ली और अन्य स्थानों के शाहीन बाग़ तक भी समर्थन जता कर आये हैं। 
शाहीन बाग़ लुधियाना में नज़र आए होली के रंग तिरंगे के संग
CAA, NRC और NRP को नागरिकता अधिकारों पर हमला बताते हुए इस की हर पंक्ति के हर शब्द पर चर्चा करने तैयार रहते हैं। इस कानून के विरुद्ध पंजाब के किसानों, औद्योगिक व खेत मज़दूरों, बिजली कर्मचारियों, नौजवानों व विद्यार्थियों पर आधारित इन 14 संघर्षरत संगठनों  जन काफिला एक रह से लॉन्ग मार्च पर ही है। यह काफिला हर उस जगह जहाँ इसकी ज़रूरत है। अब इनके साथ धार्मिक अल्पसंख्यक और दलित वर्ग  भी आ मिले हैं इसलिए यह शक्ति और भी बढ़ गयी है। एक लम्बे संघर्ष के लिए पूरी तरह तैयार है यह काफिला। इन 14 संगठनों की ओर से साझे तौर पर नागरिकता संशोधन क़ानून, जनसंख्या व नागरिक रजिस्टर खिलाफ अभियान जारी है। इनका आरोप है कि मोदी-शाह हुकूमत की सरपरस्ती में संघी गुंडा गिरोहों द्वारा  दिल्ली में साज़िशी योजनाबद्ध कत्लेआम। आम लोगों को उजाड़ा गया।  दिल्ली के इस हत्याकांड और उजाड़े के ख़िलाफ़ लुधियाना के शाहीन बाग, दाना मंडी (जालंधर बाईपास) में जिला स्तरीय विशाल रैली हुई  ऐतिहासिक लगती थी।  रैली में बड़ी संख्या में औरतों समेत विभिन्न धर्मों व जातियों के हज़ारों मेहनतकश लोग शामिल हुए। इसकी वीडियो रिपोर्ट वाम से जुड़े मीडिया सेल ने तुरंत देश भर में भेज दी। ऐसा लग रहा है कि अब वाम हर मोर्चे पर सामना करने को तैयार है। यह बात अलग है की पारम्परिक वाम पार्टियां अभी इस मामले में इस काफिले से कहीं पीछे हैं।   शाहीन बाग़ लुधियाना में नज़र आए होली के रंग तिरंगे के संग
“हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई, सारे मेहनतकश भाई-भाई”, “फासीवाद मुर्दाबाद” व अन्य गूंजते नारों को बुलंद करते हुए लोगों के इस विशाल सम्मेलन ने मांगों से संबंधित प्रस्ताव भी पारित किए। इस रैली ने मांग की किसी.ए.ए., एन.आर.सी. व एन.पी.आर. तुरंत रद्द हो, एन.आर.सी. की प्रक्रिया के तहत बनाए गए सारे नज़रबंदी कैंप बंद किए जाएं, वहां कैद लोगों को रिहा किया जाए, नागरिकता अधिकारों पर हमले के ख़िलाफ़ प्रचंड जनाक्रोश को दबाने के लिए भड़काई जा रही सांप्रदायिक हिंसा तुरंत बंद हो, दिल्ली में मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा भड़काने के दोषी भाजपा-आर.एस.एस. के नेताओं, हमलावर गुंडों व इनके पालतू पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार करके उनको मिसाली सज़ाएं दी जाएं। मांग की गई कि नागरिकता अधिकारों पर हमले  के ख़िलाफ़ शाहीन बाग दिल्ली समेत देश भर में संघर्षरत लोगों पर सभी तरह के हमले बंद हों, उनकी सुरक्षा की गांरटी हो, संघर्षरत लोगों पर दर्ज़ किए गए झूठे केस रद्द हों, गिरफ़्तार किए गए लोग व बुद्धिजीवी रिहा किए जाएं, जे.एन.यू. व जामिया यूनिवर्सिटी तथा देश भर में दमन करने वाले अधिकारियों पर सख़्त कार्रवाई की जाए। 
पंजाब के मुद्दे पर भी इन संगठनों ने तीखा रुख अख्तियार किया। इन 14 जन संगठनों ने पंजाब की कांग्रेस सरकार द्वारा एनपीआर लागू ना करने के बारे में जनता को गुमराह करने की कोशिशों की निंदा करते हुए माँग की है कि इस बारे में मुख्य मंत्री लिखती रूप में स्थिति स्पष्ट करे। जन नेताओं ने कहा कि 14 जनसंगठन अपने ऐलान पर अडिग हैं कि अगर राज्य में एनपीआर लागू करने की कोशिश की तो इसका जवाब राज्य सरकार के खिलाफ़ तीखे संघर्ष से दिया जाएगा और इसे हरगिज लागू नहीं होने दिया जाएगा।
आज की इस रैली को बी.के.यू. (एकता-उगराहाँ) के प्रधान जोगिंदर सिंह उगराहाँ, बी.के.यू. (एकता-डकौंदा) के सीनीयर मीत प्रधान मनजीत सिंह धनेर, टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन के अध्यक्ष राजविंदर, मजलिस अहरार इस्लाम हिंद जामा मस्जिद के महासचिव मौलाना मोहम्मद उसमान लुधियानवी, नौजवान भारत सभा (ललकार) की नेता बिन्नी, किसान नेता हरिंदर कौर बिंदू, मोल्डर एंड स्टील वर्कर्ज़ यूनियन के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह, इंकलाबी मज़दूर केंद्र के नेता सुरिंदर सिंह, टैक्नीकल सर्विसिज यूनियन की ओर से इकबाल सिंह, जमहूरी अधिकार सभा के महासचिव प्रो. जगमोहन सिंह, पंजाब खेत मज़दूर यूनियन के नेता लछमन सिंह सेवेवाला, कारखाना मज़दूर यूनियन के अध्यक्ष लखविंदर, इंकलाबी नौजवान विद्यार्थी मंच के हरशा सिंह, नौजवान भारत सभा के नेता अशवनी घुद्दा, पंजाब स्टूडैंटस यूनियन (ललकार) के नेता गुरविंदर, पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन (शहीद रंधावा) के नेता हुशिय़ार सिंह, धार्मिक भाईचारा नेता मोहम्मद मुसकीम अहरार और कारी मुसतकीम करीमी, किसान संघर्ष कमेटी पंजाब के अध्यक्ष कंवलप्रीत सिंह पन्नू ने संबोधित किया। मंच संचालन की जिम्मेवारी किसान नेता जगमोहन सिंह धनेर ने बाखूबी निभाई।
नेताओं ने कहा कि सन् 84 में सिखों के कत्लेआम की तर्ज़ पर दिल्ली में मुसलमानों के कत्लेआम ने मोदी-शाह हुकूमत के नागरिकता संशोधन क़ानून के पीछे छिपे जनद्रोही इरादों को पूरी तरह नंगा कर दिया है। वक्ताओं ने आर.एस.एस. व भाजपा की केंद्रीय हुकूमत द्वारा अधिकारों के लिए किए जा रहे संघर्ष को कुचलने की निंदा करते हुए ऐलान किया कि लोगों को धर्म के नाम पर लड़ाने, सांप्रदायिक फूट डालने, अंध-राष्ट्रवाद भड़काने, कत्लोगारद करने, नागरिकता समेत अन्य जनवादी अधिकारों के हनन व जनता की लूट तीव्र करने के जनद्रोही मंसूबे सफल नहीं होने देंगे। शाहीन बाग़ लुधियाना में नज़र आए होली के रंग तिरंगे के संग
वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार सी.ए.ए., एन.आर.सी., व एन.पी.आर. द्वारा जनता की सामुदायिक सदभावना व अमन को खत्म करके, सांप्रदायिक ज़हर घोलने का कुकर्म कर रही है। ऐसा करके यह सत्ता  जनता के वास्तविक मुद्दों व दुश्मनों से ध्यान हटाना चाहती है। इसका शिकार मुसलमानों समेत सभी अल्पसंख्यकों, सभी मेहनतकशों, दलितों, पिछड़ी श्रेणियों, दमित राष्ट्रीयताओं, जनपक्षधर बुद्धिजीवी, धर्मनिरपेक्ष व वैज्ञानिक सोच रखने वाले व जनवादी अधिकारों के लिए जूझ रहे सारे संघर्षरत लोग हैं। मोदी हुकूमत इसकी आड़ में देश के उत्पादन-स्रोत, कमाई के साधन, जल-जंगल-ज़मीनों का निजीकरण करके सरकारी व अर्ध-सरकारी संस्थाएं कौड़ियों के दाम देशी-विदेशी कॉर्पोरेट घरानों के हवाले कर रही है। हुकूमत की इन नीतियों के चलते मज़दूरों-मुलाज़िमों की बड़े स्तर पर छंटनी हो रही है और उनका रोज़गार खत्म हो रहा है, नाममात्र के श्रम क़ानूनों को खत्म किया जा रहा है, छोटे काम-धंधों वाले लोग आर्थिक तबाही का शिकार हो रहे हैं। इन जन-विरोधियों नीतियों के ख़िलाफ़ जूझ रहे लोगों को देशद्रोही कहने वाली मोदी हुकूमत ख़ुद देशद्रोही है। नेताओं ने कहा कि खतरा मुसलमानों से नहीं है, बल्कि मोदी सरकार की नीतियों से है।
उन्होंने कहा कि मोदी हुकूमत देश को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहती है, लेकिन इसका मतलब हिंदू धर्म के लोगों का विकास नहीं, बल्कि ऐसा प्रतिक्रियावादी राज्य कायम करना है जहाँ लोगों के बुनियादी, जनवादी व क़ानूनी अधिकार खत्म किए जाएं ताकि वे लूट-दमन के विरुद्ध संघर्ष ना कर सकें। उन्होंने कहा कि मौजूदा काले क़ानूनों के ख़िलाफ़ हर जाति, धर्म-मज़हब के लोग-औरतें, नौजवान, विद्यार्थी, बुद्धिजीवी, किसान, मज़दूर मैदान में डटे हुए हैं। उन्होंने हुकूमत के इस हमले को टक्कर दी है। दिल्ली, यू.पी. में योजनाबद्ध ढंग से आगजनी करने, कत्लोगारद, सबके बावजूद विभिन्न धर्मों के लोग एक-दूसरे के साथ खड़े हैं, फिरकापरस्तों को भगा रहे हैं, सांप्रदायिक अमन को मज़बूत करने के लिए प्रयास कर रहे हैं और नागरिक अधिकारों पर हमले के ख़िलाफ़ डटकर संघर्ष कर रहे हैं। शाहीन बाग की तर्ज़ पर जगह-जगह मोर्चे बने हुए हैं। नेताओं ने जन-शक्ति में विश्वास प्रकट करते हुए कहा कि फासीवादी हुकूमत को जनता मिट्टी में ज़रूर मिलाएगी।
नेताओं ने मोदी-शाह की हुकूमत के नागरिकता अधिकारों पर हमले, दिल्ली कत्लेआम, देशभर में संघर्षरत लोगों के दमन, लोगों के सभी जनवादी अधिकारों के हनन का मुँह-तोड़ जवाब देने के लिए जुझारू जनांदोलन को और व्यापक बनाने का आह्वान किया।  अब देखना है की आम जनता इन 14 वाम संगठनों को कितना समर्थन देती है।
शाहीन बाग़ लुधियाना में नज़र आए होली के रंग तिरंगे के संग

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