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Friday, October 14, 2022

गंभीर चुनौतियां हैं सीपीआई विजयवाड़ा सम्मेलन के समक्ष

के. रामकृष्ण और तीन सूत्री एजेंडा पर होगा गहन विचार 

विजयवाड़ा: 13 अक्टूबर 2022: (कामरेड स्क्रीन विशेष टीम):: 

सीपीआई का 24वां पार्टी सम्मेलन विजयवाड़ा में 14 अक्टूबर से शुरू होने को तैयार है। जोशो खरोश और उत्साह के साथ बहुत से कार्यकर्ता विजयवाड़ा पहुँच चुके हैं। हर तरफ लाल सागर लहराता नज़र आ रहा है जो आने वाले लाल तूफान की दस्तक भी है। सियासी तौर पर विरोध में करने वाले पूरी तरह सतर्क निगाहें लगाए बैठे हैं लेकिन यह  यह लाल तूफ़ान एक नया इतिहास रचने को तैयार है और जनाब हरिवंश राय बच्चन के शब्दों में पूछ रहा है:

गीले बादल, पीले रजकण,

सूखे पत्ते, रूखे तृण घन

लेकर चलता करता 'हरहर'--इसका गान समझ पाओगे?

तुम तूफान समझ पाओगे?


गंध-भरा यह मंद पवन था,

लहराता इससे मधुवन था,

सहसा इसका टूट गया जो स्वप्न महान, समझ पाओगे?

तुम तूफान समझ पाओगे?


तोड़-मरोड़ विटप-लतिकाएं,

नोच-खसोट कुसुम-कलिकाएं,

जाता है अज्ञात दिशा को! हटो विहंगम, उड़ जाओगे!

तुम तूफान समझ पाओगे?

सीपीआई का 14 अक्टूबर से पांच दिनों के लिए विजयवाड़ा में होने वाली भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) की 24 वीं राष्ट्रीय कांग्रेस में केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार को गिराने की योजना बनाने पर ध्यान देने के साथ तीन सूत्री एजेंडा होगा।

14 अक्टूबर से पांच दिनों के लिए विजयवाड़ा में होने वाली भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) की 24 वीं राष्ट्रीय कांग्रेस में केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार को गिराने की योजना बनाने पर ध्यान देने के साथ तीन सूत्री एजेंडा होगा। मीडिया से बात करते हुए, भाकपा के राज्य सचिव के रामकृष्ण ने बहुत सी सच्ची लेकिन संवेदनशील बातें भी कहीं। उन्होंने कहा कि एजेंडे में पहला बिंदु एक वैकल्पिक आर्थिक नीति के साथ आना है और दूसरा सभी धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों के साथ गठबंधन पर चर्चा करना है ताकि भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा सके। गौरतलब है कि आर्थिक नीति की कमी लम्बे समय से महसूस की जा रही है। जब ओशो ने अमेरिका तक में में अपना एक ऐसा कम्यून चला कर दिखाया था जिसमें कोई करेंसी नहीं चलती थी लेकिन सभी को हर जरूरत को चीज भी मिलती थी। ओशो कम्यून के उस ऐतिहासिक तजरूबे से जहां अमेरिका का सिस्टम और प्रशासन दंग रह गया था वहीं मास्को टीवी ने ओशो से भेंट वार्ता भी प्रसारित की थी। लेकिन भारत जहां ओशो ने जन्म लिया था वहां पूरे हालात अनुकूल होने के बावजूद वाम शक्तियां न तो करेंसी रहत कोई छोटा सा भी कम्यून चला पाईं और न ही कोई ऐसी आर्थिक नीति दे पाईं जो समाजवादी सुर से मेल खाती होती। ऐसे में पूंजीवाद का बोलबाला लगातार बढ़ता गया।

अभी तक भी वाम के पास कोई जन हितैषी आर्थिक नीति नहीं है। विगत दशकों में ऐसा कुछ भी सामने नहीं आ पाया जो पूंजीवाद पर चोट मारने वाली आर्थिक नीति की तरह होता। इसलिए आर्थिक नीति की कमी शिद्दत के साथ महसूस की जा रही है। नोटबंदी, जी एस टी, टैक्सेसशन और अंबानी//अडानी जैसे बड़े घरानों को सौंपे गए देश के बड़े बड़े प्रोजेक्टों को वापिस लेने की बात करती हो।

बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है सन 2024 के चुनाव और अंतिम बिंदु कम्युनिस्ट पार्टियों का पुनर्मिलन। क्या सचमुच यह पुनर्मिलन अब संभव है? सन 2024 के आम चुनावों के लिए अपनी योजनाओं के बारे में विस्तार से बताते हुए, भाकपा नेता ने कहा कि पार्टी सभी धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों के साथ व्यापक गठबंधन की तलाश कर रही है। टीआरएस के साथ गठबंधन से इंकार नहीं करते हुए, जिसने राष्ट्रीय राजनीति के लिए खुद को बीआरएस के रूप में उन्नत किया है, रामकृष्ण ने कहा कि किसी भी अन्य धर्मनिरपेक्ष दल की तरह, वे मोदी सरकार को गिराने के लिए गठबंधन में शामिल होने के लिए टीआरएस//बीआरएस का स्वागत करते हैं। इस संबंध में राज्य स्तर तक भी विचार करनी होगी। 

राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के साथ समझौता होने की संभावना पर, क्योंकि भाकपा की राज्य स्तर पर सबसे पुरानी पार्टी के साथ प्रतिद्वंद्विता है, उन्होंने कहा कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति दो अलग-अलग चीजें हैं और इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। वाम दल और कांग्रेस के बीच समझ और बढ़े इसी से सकर्तात्मक परिणाम निकलेंगे।

उन्होंने कहा कि हम सभी गैर-बीजेपी ताकतों को एक साथ लाने की उम्मीद कर रहे हैं। रामकृष्ण ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में, जहां आम आदमी भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की नीतियों की चुभन महसूस कर रहा है, देश और उसके लोगों के हितों की रक्षा के लिए एक वैकल्पिक आर्थिक नीति के साथ आना सर्वोपरि हो गया है। कम्युनिस्ट पार्टियों के एकीकरण के संबंध में, उन्होंने कहा कि यह विषय लंबे समय से कार्ड पर है और सीपीआई के विजयवाड़ा सम्मेलन में इस पर गंभीरता से चर्चा होगी।

मुख्य एजेंडे के अलावा, पांच दिवसीय सम्मेलन, जिसके लिए अजित सिंह नगर के माकिनेनी बसवापुन्नैया स्टेडियम में विस्तृत व्यवस्था की गई है, पिछले साढ़े चार वर्षों में देश में हुए विकास पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। पार्टी की 23वीं कांग्रेस अप्रैल 2018 में कोल्लम में आयोजित हुई। पांच दिवसीय सम्मेलन में 29 राज्यों के लगभग 1,000 प्रतिनिधि भाग लेंगे। 

केरल और तमिलनाडु प्रत्येक 100 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भेजेंगे। इसके अलावा, 25 देशों के बिरादरी के प्रतिनिधि भी कांग्रेस में शामिल होंगे, उन्होंने कहा। कांग्रेस के पहले दिन विशाल रैली होगी, उसके बाद जनसभा होगी. उद्घाटन सत्र दूसरे दिन होगा। सीपीआई और अन्य वाम दलों के राष्ट्रीय नेता सत्र में भाग लेंगे। 'संविधान की रक्षा और लोकतंत्र की रक्षा में' विषय पर एक संगोष्ठी आयोजित की जाएगी। अंतिम दिन पार्टी की नई कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद का चुनाव किया जाएगा।

इस चुनाव में जहां नई टीम सामने आएगी वहीं नई नीतियां और रणनीति भी सामने आएगी। यह रणनीति एक तरह से युद्ध के बिगुल को तरह उद्घोष करती हूं महसूस होंगी। निकट भविष्य की रहें बेहद कठिन्नहो सकती हैं। हालात बहुत मुश्किल बन सकते हैं। टकराव तेज़ हो सकते हैं। वाम के पुराने कठिन दिनों की यादें भी तेज़ हो सकती हैं लेकिन और कोई दूसरा रास्तभी नहीं। फाशी वाद के खिलाफ जंग निर्णायक होने वाली है इसलिए मुश्किलों के लिए तैयार रहना ही होगा। 

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