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Saturday, March 27, 2021

मज़बूती के लिए गीत संगीत के जादू को दोबारा जगायेगा वाम

झारखंड में लिए गए अहम फैसले को अन्य राज्य भी शीघ्र अपनाएंगे 

रामगढ़ (झारखंड): 27 मार्च 2021: (कामरेड स्क्रीन ब्यूरो)::

वाम आंदोलन को मज़बूत करने और इस जन काफिले में नए लोगों को एक बार फिर तेज़ी से लाने के लिए गीत, संगीत, साहित्य और सांस्कृतिक आयोजनों का उल्लेखनीय योगदान रहा है। मैक्सिम गोर्की के मां को पढ़ कर न जाने कितने ही युवा  वाम आंदोलन की तरफ खिंचे चले आए थे।
पंजाबी में प्रीतलड़ी नामक पत्रिका ने भी युवाओं को वाम लहर से परिचित भी कराया और।  अमरजीत गुरदासपुरी साहिब के गीतों ने भी  सादगी  एक गहरी चेतना जगाई और इसे विकसित भी किया। जनाब तेरा सिंह चन्न ने तो एक तूफ़ान  किया। इसी तरह चुंबकीय शख्सियत शीला दीदी और उनका परिवार भी इसी क्षेत्र में जुटा रहा। अब भी संजीवन, इंद्रजीत रूपोवाली,अमन भोगल और बहुत से अन्य लोग इस परम्परा को बहुत सी कठिनाईओं के बावजूद आगे बढ़ा रहे हैं।
गीत संगीत का जादू अभी तक वाम आंदोलन के विभिन्न अभियानों का एक सक्रिय हिस्सा है। आयोजन देश भगत हाल जालंधर में हो या फिर टिकरी या सिंघु बॉर्डर पर गीत संगीत वहां मौजूद श्रोताओं और दर्शकों को अपने  विचारों के साथ बाँधने में पूरी तरह सफल रहता है। अब एक बार फिर अभियान को तेज़ करने का निर्णय लिया गया है झारखंड में। निश्चय ही इस निर्णय अन्य हिस्सों में भी फैलाया जायेगा। झारखंड में वाम के सक्रिय नेता सुशील स्वतंत्र इसे लेकर बेहद उत्साह में भी हैं।
रामगढ़ (झारखण्ड) से आई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने मंजूर भवन, रामगढ़ में जनवादी गीत कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य पार्टी के कार्यकर्ताओं को क्रांतिकारी और जनवादी गीतों का प्रशिक्षण देना और सांस्कृतिक मंडली की स्थापना करना था। इससे स्थानीय प्रतिभाओं पहचान भी होगी। कला के क्षेत्र में सक्रिय कलाकारों को जहां  एकजुट होने का सशक्त मंच मिलेगा वहीँ उनकी रोज़ी रोटी के  संसाधन भी बढ़ाये जा सकेंगे।
रामगढ़ वाले इस कार्यक्रम की अध्यक्षता भाकपा राज्य सहायक सचिव महेंद्र पाठक ने की। कार्यशाला को मुख्य वक्ता के तौर पर संस्कृतिकर्मी उमेश नजीर, सुशील स्वतंत्र, फरजाना, गौतम चौधरी ने संबोधित किया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए भाकपा राज्य परिषद के सदस्य सुशील स्वतंत्र ने स्वागत भाषण में कहा कि कम्युनिस्ट आंदोलन में जनवादी गीतों का विशेष महत्व रहा है। कम्युनिस्ट पार्टी के सांस्कृतिक जनसंगठन इप्टा से जुड़े कलाकारों की तरफ से आम लोगों से जुड़े हुए गीतों के माध्यम से कम्युनिस्ट आंदोलन को मजबूत किया जाएगा।  सुशील स्वतंत्र ने बताया कि इस मामले में भी  विचारधारा से   कलाकारों का स्वर्णिम इतिहास रहा है। रामगढ़ की धरती कम्युनिस्टों के संघर्ष और शहादत की धरती रही है। इस धरती पर इंकलाब का तराना गाने वालों की मंडली का होना बहुत आवश्यक है। आज का दिन रामगढ़ के लिए ऐतिहासिक दिन है क्योंकि आज के ही दिन 19 मार्च 1940 में रामगढ़ में ‘अखिल भारतीय समझौता विरोधी सम्मेलन‘ हुआ था जिनमें नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने भाग लिया था। इस सम्मेलन में नेताजी ने ऐलान किया था कि ‘सम्पूर्ण आजादी के लिए कोई समझौता नहीं।‘ रामगढ़ की इसी संघर्ष की ज़मीन पर आज के ऐतिहासिक दिन में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा सांस्कृतिक आंदोलन को पुनर्जीवित करने का प्रयास जरूर सफल होगा। असर अन्य राज्यों पर भी पड़ेगा।
संस्कृतिकर्मी एवं भाकपा राज्य परिषद सदस्य उमेश नजीर ने कहा कि क्रांतिकारी शायर मखदूम मोहिउद्दीन की याद में आयोजित इस जनवादी गीत कार्यशाला रामगढ़ के कम्युनिस्ट आंदोलन को मजबूती देगी। क्रांतिकारी गीतों ने देश की आजादी में बहुत महत्वपूर्ण योगदान निभाया है। इंकलाबी के होंठों पर तराना न हो तो वो क्रांतिकारी हो ही नहीं सकता। गौतम चौधरी ने कहा कि नाटक और गीतों के माध्यम से जनता के नजदीक पहुंचा जा सकता है। फरजाना ने कहा कि सांस्कृतिक मोर्चे को मजबूत बनाकर हम महिलाओं, नौजवानों और गरीबों को आसानी से लामबंद कर सकते हैं।
अध्यक्षीय भाषण में बोलते हुए महेंद्र पाठक ने कहा कि रामगढ़ भाकपा से जुड़े संस्कृतिकर्मियों का केंद्र बनेगा। रामगढ़ में सांस्कृतिक आंदोलन को साथ लेकर कम्युनिस्ट आंदोलन आगे बढ़ेगा। नए गीत लिखे जाएंगें, स्थानीय समस्याओं पर नाटक तैयार किये जायेंगे और लोगों को जागरूक बनाया जाएगा। लइयो इप्टा के साथियों ने कार्यशाला में जनवादी गीतों का प्रशिक्षण उपस्थित साथियों को दिया। इप्टा के साथियों दुर्गा, राजू, प्रह्लाद ने क्रांतिकारी गीत गाये और प्रशिक्षण दिया। कार्यशाला में इंकलाबी शायर मखदूम मोहिउद्दीन के जीवन और उनके मशहूर गजलों पर एक घण्टे की एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म दिखाई गई। इस अवसर पर बबलू उराँव, कय्यूम मलिक, मेवालाल प्रसाद, महेंद्र पाठक, सुशील स्वतंत्र, गौतम चौधरी, उमेश नजीर, फरजाना, रोहन, किशोरी गुप्ता, नेमन यादव, रविकांत प्रसाद, संजू गोयनका, चन्द्रभानु मुन्ना, सईद अंसारी, तेजन महतो सहित अन्य साथी उपस्थित थे। 

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